Usha sharma

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लेखनी प्रतियोगिता -21-May-2023

मैं
रहती हूँ बेफिक्र 
लम्हों की उड़ती 
तितलियाँ
बन

मैं
रहती हूँ फिक्रमंद 
लम्हों की सहेजती 
गृहणियाँ
बन

मैं
रहूँगी अब सहज 
लम्हों की उभरती हुई
परछाइयाँ
बन

©उषा शर्मा ✍️ 

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5 Comments

Punam verma

22-May-2023 09:04 AM

Very nice

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Abhinav ji

22-May-2023 08:28 AM

Very nice 👍

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सुन्दर सृजन

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